बुराई पर अच्छाई की जीत, यह पर्व हमे सिखाता है,
विजय का पर्व है ये, इसलिए विजयदशमी कहलाता है,
राम द्वारा रावण की मृत्यु, होनी ही थी,
क्योकि ये तो विधाता की लिखी हुई, होनी ही थी,
पिता का वचन निभाया, छोड़ दी सारी माया,
चले वनवास राघराई, ले सीता संग अनुज दो कोमल सी काया,
रावण जो था बहोत अहंकारी, कर्म उसके सारे ऐसे जैसे हो कोई दुराचारी,
पर फिर भी राम का नाम लेने से, अंत मै राम ने उसको मुक्ति दे ही डाली,
राम नाम मै है वो शक्ति, करके तो तू देख उसकी भक्ति,
तू भी तर जायेगा, और मिल जाएगी तुझको भी मुक्ति
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