गुरू वर तेरे ज्ञान का भंडार, जबसे मेने पाया है,
अज्ञान सारा दूर हुआ, जबसे तेरा साया हैं
गुरू ही हैं वो जो, अज्ञान को मिटाता हैं,
जो अपने ज्ञान के प्रकाश से , जीवन से अंधकार को मिटाता है
गुरु ही हैं वो जो, जीवन को नए अयाम देता,
जो बुराइयों को दूर कर, अच्छाइयों का ज्ञान देता
गुरु ही ब्रम्ह , गुरु ही साक्षात्कार है, गुरु से ही ही ,
हर शिष्य के जीवन मैं , एक नया आकार है
गुरुत्वाकर्षण बल वो है जो, दो वस्तुओं को एक दूसरे पास खिंचता है,
गुरु के आकर्षण का बल वो है , जो शिष्य को ज्ञान का बल देता है
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