गढ़पति हर दुख का नाशक, माता पिता का वो उपासक,
जितना बड़ा स्वरूप उसका, उतना छोटा उसका वाहन मूसक
गढ़पति गढ़ानायक, जो है दीनों का सहायक,
देवो मैं है जो सर्वोपरि, पूजा उसकी अत्यंत फल दायक
गज मुखाय, जो शिव को ध्याय, गढ़पति जिसको नाम सहाय,
हो मनोकामना पूरी उसकी, जो गढ़पति जी की आरती गाय
गढ़ तत्व गढ़ मूल, गज धारी, मूसक जिसकी सवारी,
जो सुमरे गणपति को, हर कार्य उसका हो मंगलकारी
पार्वती की आंखों का तारा, जिसने दिया मूसक राज को सहारा ,
जिसको रहे सदा मोदक की अभिलाषा, उसने ही पापी असुरों को संहारा
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